गढ़वाल होली के गीत
एक समय की बात सुनो जी
.
एक समय की बात सुनो जी...
जब राजा अर्जुन घर पे नहीं थे। (2)
तब दुष्ट दुर्योधन ने चक्रव्यूह रचाया...
चक्रव्यूह रहा के पाण्डव ललकारे। (2)
पाण्डव ललकारे स्वर्ग सिधारे ।(2)
सोलह बर्ष के अभिमन्यु बोले....
तुम रहो घर में मैं जांऊ लड़ने। (2)
बीरा-बीर अभिमन्यु लड़ने गये....
बीरा-बीर अभिमन्यु लड़ने गये। (2)
एक रण जीते, दो रण जीते... (2)
तिन रण जीते, चर रण जीते... (2)
पंच रण जीते, छःरण जीते... (2)
सातवें रण में मारे गये....... (2)
बीरा-बीर अभिमन्यु लड़ने गये। (4)
Saurabh rawat
Writer
गढ़वाल की परम्पराओं या इस पोस्ट से सम्बंधित किसी भी तरह का प्रश्न पूछने के लिए नीचे comment कीजिये
एक समय की बात सुनो जी
.
एक समय की बात सुनो जी...
जब राजा अर्जुन घर पे नहीं थे। (2)
तब दुष्ट दुर्योधन ने चक्रव्यूह रचाया...
चक्रव्यूह रहा के पाण्डव ललकारे। (2)
पाण्डव ललकारे स्वर्ग सिधारे ।(2)
सोलह बर्ष के अभिमन्यु बोले....
तुम रहो घर में मैं जांऊ लड़ने। (2)
बीरा-बीर अभिमन्यु लड़ने गये....
बीरा-बीर अभिमन्यु लड़ने गये। (2)
एक रण जीते, दो रण जीते... (2)
तिन रण जीते, चर रण जीते... (2)
पंच रण जीते, छःरण जीते... (2)
सातवें रण में मारे गये....... (2)
बीरा-बीर अभिमन्यु लड़ने गये। (4)
Saurabh rawat
Writer
गढ़वाल की परम्पराओं या इस पोस्ट से सम्बंधित किसी भी तरह का प्रश्न पूछने के लिए नीचे comment कीजिये
Comments
Post a Comment