गढ़वाल होली के गीत
होली गीत
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
दुध भी नहीं पीवे, खिर भी नहीं खावे। (2)
चाहे तो बस माखन मिश्री। (1)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
ये भी नहीं खेले, वो भी नहीं खेले। (2)
खेले तो बस गेंदुआ(1)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
Saurabh rawat
Writer
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होली गीत
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
दुध भी नहीं पीवे, खिर भी नहीं खावे। (2)
चाहे तो बस माखन मिश्री। (1)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
ये भी नहीं खेले, वो भी नहीं खेले। (2)
खेले तो बस गेंदुआ(1)
माखन कहाँ से लांऊ, मेरा रोये कन्हैया। (2)
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Saurabh rawat
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