Garhwal Ramlila me gai Jane vali 3arti
आरती नम्बर( 3)
रामचन्द्रजी की आरती
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज लोचन, कंजमुख, करकुंज, पदकंजारुणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम....
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनीलनीरद सुन्दरं |
पट पीत मानहु तडीत रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम....
भजु दीनबंधु दिनेश दानवदै त्यवंशनिकंदनं |
रघुनंद आंनदकंद कोशलचंद दशरथनंदनं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम...
सिर मुकुट कूंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं |
आजानु भुजा शरा चाप धरा, संग्राम जित खर दुषणं ||
भुजा शरा चाप धरा, संग्राम जित खर दुषणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं
इति वदित तुलसीदास शंकरशेषमुनिमनरंजनं |
मम ह्रदयकंजनिवास कुरु, कामादि खल दल गंजनं | |
मन जाहि राचों मिलहिं सो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करूणा निधान सुजान सील स्नेह जानत दावों।।
यहिं भांन्ति गौरी असीस सुनि सिय सेहित हिय हर्षित चली।
तुलसी भवानी पूजी पुनि पुनि मुदित मन मन्दिर चली।।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज लोचन, कंजमुख, करकुंज, पदकंजारुणं ||
श्री राम श्री राम...
Saurabh rawat
Writer
गढ़वाल की परम्पराओं या इस पोस्ट से सम्बंधित किसी भी तरह का प्रश्न पूछने के लिए नीचे comment कीजिये
आरती नम्बर( 3)
रामचन्द्रजी की आरती
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज लोचन, कंजमुख, करकुंज, पदकंजारुणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम....
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनीलनीरद सुन्दरं |
पट पीत मानहु तडीत रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम....
भजु दीनबंधु दिनेश दानवदै त्यवंशनिकंदनं |
रघुनंद आंनदकंद कोशलचंद दशरथनंदनं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
श्री राम श्री राम...
सिर मुकुट कूंडल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं |
आजानु भुजा शरा चाप धरा, संग्राम जित खर दुषणं ||
भुजा शरा चाप धरा, संग्राम जित खर दुषणं ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं
इति वदित तुलसीदास शंकरशेषमुनिमनरंजनं |
मम ह्रदयकंजनिवास कुरु, कामादि खल दल गंजनं | |
मन जाहि राचों मिलहिं सो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करूणा निधान सुजान सील स्नेह जानत दावों।।
यहिं भांन्ति गौरी असीस सुनि सिय सेहित हिय हर्षित चली।
तुलसी भवानी पूजी पुनि पुनि मुदित मन मन्दिर चली।।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं |
नवकंज लोचन, कंजमुख, करकुंज, पदकंजारुणं ||
श्री राम श्री राम...
Saurabh rawat
Writer
गढ़वाल की परम्पराओं या इस पोस्ट से सम्बंधित किसी भी तरह का प्रश्न पूछने के लिए नीचे comment कीजिये
Comments
Post a Comment